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कविता – अपना सुन्दर करें मकान

कवि,साहित्यकार,पत्रकार,संपादक (करन बहादुर)
कवि,साहित्यकार,पत्रकार,संपादक (करन बहादुर)
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ज्ञान गुबार पुकार उधार
सबकी कंठी एक सामान
हम तो अंधे लंगड़े लूले
अपना सुन्दर करें मकान
ज्ञान गुबार पुकार उधार
सबकी कंठी एक सामान
बहुरुपिये तुम समझो भाई
अपनी लागे लोग लुगाई
खाई बहुत है गहरी धन की
निर्धन जाने यह विज्ञान
हम तो अंधे लंगड़े लूले
अपना सुन्दर करें मकान
ज्ञान बहुत है उनका कर्मठ
म्यान सभी कुछ सर्वस परगट
आँखें खोल करे जो कथनी
उसका ध्यान महा संज्ञान
हम तो अंधे लंगड़े लूले
अपना सुन्दर करें मकान
सूप सभी कुछ कूप सभी कुछ
रंग जाती की लीला न्यारी
धारी है सब एक बाप का
अपना पाप भरे जो ज्ञान
हम तो अंधे लंगड़े लूले
अपना सुन्दर करें मकान
थोडा निर्मल थोड़ा चंचल
और शुद्ध कर बुद्ध विहान
हम तो अंधे लंगड़े लूले
अपना सुन्दर करें मकान
ज्ञान गुबार पुकार उधार
सबकी कंठी एक सामान
करन बहादुर (नोयड) 9717617357

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