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व्याग्रा का दंश

कवि,साहित्यकार,पत्रकार,संपादक (करन बहादुर)
कवि,साहित्यकार,पत्रकार,संपादक (करन बहादुर)
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(लेख)
करन बहादुर (नोयडा) 8459061112 , 9015151607
असहिष्णुता बनाम आमिर और शाहरुख –
अजीब दुर्भाग्य है देश का जिनके माथे पर भारत के गौरव की कहानियां होनी चाहिए वे देश को असहिष्णु कहकर पता नहीं स्वयं को गालियाँ दे रहे हैं या फिर देश को , जिसने उनको सर माथे लिया वास्तव में यह देश का दुर्भाग्य ही है कि उसकी गोद में ऐसी नाजायज औलादें स्वतः स्फुटित हो गई |
माँ भारती को नमन करते हुए मै सिर्फ एक बात जो वास्तव में कटु सत्य है पर फिर भी मै कहना चाहुंगा कि जिन्हें अपनी प्रकृति पर भरोसा नही है उन्हे अपनी पत्नी पर कैसे भरोसा हो सकता है ? यह सोचने का विषय है |
अपने बच्चे जो वास्तव में अपने नही है उनके लिए यह धीर गंभीरा माँ कैसे द्रवित हो उठती है | क्यों ? क्यों कि वह माँ है , माँ तो माँ है न सबको गले लगाती है चाहे वह अँधा हो , लंगड़ा हो या फिर बहरा ही क्यों न हो , परन्तु पराकाष्ट की भी एक सीमा होती है | क्यों रे ! क्या तू माँ के सीने में खंजर भोकेगा ! अरे मूर्ख ! तू यह भी सोचता है कि माँ सह लेगी पर माँ तो माँ है न , लेकिन माँ ने और पुत्रों को भी जन्म दिया है | क्यों ? क्या तेरे ही हाथों की पांचो उंगलियाँ एक सामान हैं आखिर यह सच तो है , न कि कोई उंगली छोटी है , कोई बड़ी है , कोई उससे छोटी , कोई उससे बड़ी और कोई सबसे बड़ी |
धर्म के यह पाखंडी मुल्ले जिनकी न कोई प्रवृत्ति है और न ही कोई आकृति घटिया एवं विकृत मानसिकता के शिकार मांस जिनका मूलाधार , आतंक जिनकी श्रृष्टि , संवेदना जिनके गुप्तांग और संवेदनाओं का उड़न खटोला उस पर सवारी करके समझते हैं मै ही दुनिया का सबसे श्रेष्ठ प्राणी हूँ | केचुए की भांति सर्वत्र मिट्टी में लिपटे मानवीय ढांचे को मेरा आग्रह है कि उस तिक्त मानसिकता को त्याग कर अपने उस आवरण से बाहर निकलो जिसमें वह इंसान बसता हो जी सही दशा और दिशा को समझ सकता हो जिसमें अपनेपन की मिठास हो जो सच का अनुयायी हो जिसकी आत्मा सुगन्धित हो | सौगंध लो कि यह इंसान जिसकी प्रवृत्ति और प्रकृति बिलकुल ऐसी होती है जैसा वह खुदा है जिसकी नमाज पांचो वक्त अता करके मन को बहुत शुकून मिलता है , श्रष्टि समर्पित हो उठती है ऐसे इंसान को जानो ,समझो, पहचानो और बनो |
यह मानव शरीर बड़े सौभाग्य का विषय है इसकी महत्ता को समझो यह किस प्रकार और कितना उपयोगी है इसका भूगोल और विज्ञान क्या है शारीरिक गणित को देखो कितना सार्थक और किस सिद्धांत पर निर्मित है | यह वह ब्रम्हाण्ड है जिसमें खुदा की नमाज और जुदा की आवाज दोनों किस प्रकार शामिल हैं | तू भक्त भी है भगवान् भी है तू आत्मा तो है पर परमात्मा भी है परन्तु तब जब आईने में अपने आपको देखेगा और अपनी पहचान किसी इंसान के रूप में करेगा जिसमें एक दुसरे पर भरोसा हो ,भावनाओं की क़द्र हो और संतुलन का अनुयायी हो |
आज पुरे विश्व में अगर नजर डाली जय तो उसमें जो सबसे साफ़ दीखता है वह है मुस्लिम कट्टरता जो न इंसान को इंसान , भाई को भाई और न ही मुसलमान को मुसलमान समझता है इन सबका कारण उनके अन्दर की राक्षसी प्रवृति या सीधे तौर पर कहें तो मांसाहार जो वास्तव में उनके स्वयं के शरीर के लिए भी नुक्सान दायक है |परन्तु जो जन्म से बीमार है उसको कोई इन्सान कैसे समझा सकता है | मै आपको एक सत्य घटना बता रहा हूँ हमारे घर पास में लगभग 20 के करीब मुस्लिम परिवारों के घर है उनमें मै समझता हूँ की लगभग सब के सब ही माँसाहार जरुर करते है उन सभी को हँसते , खेलते या यह कह सकते है लगभग स्वस्थ देखा था परन्तु छः से सात सालों में लगभग आठ लोगों की मौत वह भी कैंसर जैसी बीमारी से और जहाँ तक मै समझता हूँ उन सभी मौतों का कारण सिर्फ एक माँसाहार ही था | अगर संभव हो सके और किसी पाठक के मन में इस विषय पर कुछ अधिक उत्सुकता हो तो वे इस बात को खोज सकते है कि अभी तक कैंसर की बीमारी से मरने वाले क्या अधिकतर माँसाहारी नहीं है | निश्चित रूप से यह तथ्य 90 फीसदी जरुर सत्य होगा | यह तो सिर्फ वह बात है जो आपको आपके चेहरे का आइना मात्र है |
यही कारण है कि आज स्लामिक स्टेट कहे जाने वाले क्षेत्रों में कोहराम मचा है | क्योंकि उनकी मानसिकता ही राक्षसी हो चुकी है वे स्वयं से ही लगाव नही रखते कारण चाहे कोई भी हो भ्रम या कट्टरवाद परन्तु यह सब मात्र पेट में उठ रही उस मरोड़ की भांति ही है जो जब तक शांत न हो जाय तब तक इन्सान न जी सकता है और न मर सकता है , इसके लिए भोगी अपरिमित विकल्पों का सहारा लेता है और अन्ततः निजात पा लेने के बाद ही शांत होता है |
मुझे तो लगता है आज उस मरोड़ को शांत करने का वक़्त आ चूका है देश को ऐसे कट्टरवादियों को , जेहादियों को , आतंकवादियों को जो इन्सान की खाल में वास्तविक दरिन्दे हैं या यूँ कहें कि दरिन्दगी , वास्तविक कारण ये सब ही हैं क्योंकि असल में आमिर और शाहरुख जैसे लोग ही वह मसीहा है जो हर प्रकार से बुरे कट्टरवादियों का सरंक्षण कर रहे हैं | इनके खिलाफ शख्त कदम उठाकर सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए इन पर खाने और पखाने को छोड़कर सभी प्रकार के बैन लगा देने चाहिए और हो सके तो उम्र भर जेल की सलाखों के पीछे , यह असल देशद्रोही हैं |
और हाँ छछुन्दर की भांति लाइन बनाकर चलने वाले कुछ वे कलाकार जो यह घोषणा कर रहे हैं कि भारत सरकार से प्राप्त पुरस्कार वापिस कर रहा हूँ परन्तु पुरस्कार वापसी का सटीक और संतोष जनक कारण मुझे आजतक नहीं समझ आया |
गुबरैलों की भांति अपनी मन पसन्द जगह न मिल पाने के कारण उनकी वेचैनी जायज है परन्तु वह सम्मान जो देश की ओर से उनकी काविलियत और योगदान के लिए दिया गया है उसको वापिस करने का फार्मूला वास्तव में देश के सम्बिधान में तो होगा नही परन्तु देश के खिलाफ जाकर ऐसा प्रयास सिर्फ भारत में ही सम्भव है लेकिन यह लचीलेपन की हद है ऐसे सभी देश द्रोहियों के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही कर सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए |
करन बहादुर (नोयडा) 8459061112 , 9015151607

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