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मंथन

कवि,साहित्यकार,पत्रकार,संपादक (करन बहादुर)
कवि,साहित्यकार,पत्रकार,संपादक (करन बहादुर)
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जीवन में हूँ
मैं भी रोता
पाता हूँ जो
वह, सब ही खोता
कुछ ना रहता
पास हमारे
जो भी चाहे …….
रात गुज़ारे !

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